Maharashtra News: Black टमाटर की खेती से होगी लाखों की कमाई, लागत मात्र 50 हजार रुपये #tomatofarming
बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र में एक अनोखी पहल की कहानी शुरू होती है। जब आप खाना बनाते हैं और उसमें टमाटर का इस्तेमाल करते हैं, तो उसका स्वाद लाजवाब हो जाता है। इसी स्वाद को और बेहतर बनाने के लिए, बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र ने कुछ खास टमाटर की खेती शुरू की है।
यहां के खेतों में आपको रंग-बिरंगे टमाटर दिखाई देंगे—पर्पल, ब्लैक, और कई अन्य रंगों के। यह जगह एक अनूठे प्रयोग का केंद्र है, जहां देशी किस्मों को बचाने और बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। 30 अलग-अलग प्रजातियों के देशी टमाटरों को यहां उगाया गया है, जिनमें चेरी टमाटर, गोल आकार के लाल टमाटर, पीले टमाटर, और यहां तक कि 300 ग्राम तक के भारी टमाटर भी शामिल हैं।
संतोष करंजे सर, जो यहां के कृषि विशेषज्ञ हैं, बताते हैं कि इन टमाटरों की खासियत यह है कि ये पूरी तरह से देशी हैं। देसी किस्म होने की वजह से इन पर कीट और बीमारियों का असर बहुत कम होता है। यही कारण है कि यहां नेचुरल फार्मिंग और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस खेती में गोबर की खाद और मल्चिंग पेपर का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कीटनाशक और रासायनिक खाद पर होने वाला खर्च भी बचता है।
सर बताते हैं कि एक एकड़ की खेती में किसान को 40 से 50 टन की उपज मिल सकती है। यदि बाजार में टमाटर का औसत भाव 10 रुपये प्रति किलो भी मिलता है, तो किसान को 5 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है। इतना ही नहीं, देशी टमाटर के स्वाद और मिठास में वह पुरानी खुशबू भी मिलती है, जो अब लुप्त होती जा रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र ने इन देशी किस्मों को सहेजने के लिए किसानों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम किया है। जैसे, सोलापुर के किसान अनिल गौली और पद्मश्री राहीबाई पोपेरे ने देशी किस्मों को संरक्षित करने में योगदान दिया है। अब ये देशी बीज किसानों के लिए उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र बारामती में 16 तारीख से एक कृषि प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इसमें न केवल महाराष्ट्र बल्कि अन्य राज्यों से भी किसान आएंगे और इस पहल का लाभ उठाएंगे।
अगर आप भी देशी सब्जियों और खासकर टमाटर की खेती में रुचि रखते हैं, तो बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा जरूर करें। यहां आपको खेती की नई तकनीकों और नेचुरल फार्मिंग के बारे में उपयोगी जानकारी मिलेगी।
काले टमाटर की खेती (Black Tomato Farming in Hindi)
काले टमाटर एक अनोखी और लाभदायक फसल हैं जो भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इनका रंग गहरा बैंगनी या काला होता है और इनमें कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
काले टमाटर की खेती के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ:
- जलवायु: गर्म जलवायु काले टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
- मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
- पौधे: काले टमाटर के पौधे बीजों से उगाए जा सकते हैं।
- रोपण: रोपण का समय क्षेत्र के अनुसार बदलता है। आमतौर पर सर्दियों के महीनों में रोपण किया जाता है।
- सिंचाई: नियमित सिंचाई आवश्यक है, लेकिन अधिक पानी से बचें।
- खाद और उर्वरक: अच्छी गुणवत्ता वाली खाद और उर्वरक का उपयोग करें।
- कीट और रोग नियंत्रण: कीटों और रोगों से बचाव के लिए उपयुक्त कीटनाशक और रोगनाशक का उपयोग करें।
काले टमाटर की खेती के लाभ:
- अच्छी कीमत: काले टमाटर की कीमत लाल टमाटर की तुलना में अधिक होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: काले टमाटर में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं।
- लंबी अवधि तक भंडारण: काले टमाटर को लंबे समय तक संग्रहित किया जा सकता है।
काले टमाटर की खेती में ध्यान देने योग्य बातें:
- काले टमाटर की खेती के लिए तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है।
- अच्छे बीजों का चयन करें।
- नियमित देखभाल और रखरखाव आवश्यक है।
- बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए खेती करें।
काले टमाटर की खेती एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, लेकिन इसके लिए उचित योजना और निवेश की आवश्यकता होती है। यदि आप काले टमाटर की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।
अधिक जानकारी के लिए आप निम्नलिखित स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं:
- कृषि विश्वविद्यालय
- कृषि विभाग
- कृषि पत्रिकाएँ और वेबसाइट्स